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रायपुर

सफाई कर्मियों के ठेके में धोखाधड़ी: नगर निगम पर आरोप

रायपुर  | रायपुर नगर निगम में सफाई कर्मियों को ठेका देने के लिए दो-दो नियम चलाए जा रहे हैं। अफसर इसका फायदा उठाकर मनमानी कर रहे हैं। कहीं कह रहे हैं कि 3 प्रतिशत से कम लाभांश दर वाली कंपनी को काम नहीं दिया जाएगा। वहीं, दूसरी ओर ढाई प्रतिशत लाभांश दर वाली कंपनी को टेंडर जारी कर दिया गया है। इस खेला का खुलासा जोन 10 में हुए 28 लाख के टेंडर से हुआ है।

जोन-10 में हाल ही में करीब 18 सफाई श्रमिकों के लिए टेंडर किया गया है। ढाई प्रतिशत लाभांश दर पर वर्कऑर्डर जारी भी कर दिया गया है। जबकि जोन-8 में एक माह पहले ये हवाला देकर टेंडर निरस्त किया गया था कि 3 प्रतिशत से कम लाभांश वाली कंपनी को टेंडर नहीं दिया जा सकता है। सीधे कहें तो एक ही निगम में दो नियम चलाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, चहेतों को टेंडर देने के लिए नियमों से भी छेड़छाड़ भी की जा रही है। यह टेंडर किसी साई इंटरप्राइजेस कंपनी को 12 महीने के लिए दिया गया है।

अब जिम्मेदार इस पूरे मामले में साफ-साफ जवाब देने की जगह सच्चाई बताने से बच रहे हैं या फिर इसकी जानकारी नहीं होने का बहाना बनाकर मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं। जोन-10 के अफसरों का कहना है कि मुख्यालय के निर्देश पर टेंडर कर वर्क ऑर्डर जारी किया गया है। जबकि मुख्यालय स्तर के अफसर कह रहे हैं कि ऐसा कोई नियम नहीं है।

रायपुर नगर निगम में चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए दो-दो नियम चलाए जा रहे हैं। इस मामले में निगम आयुक्त से लिखित शिकायत भी की जा चुकी है। बता दें कि हाल ही में जोन-10 में सफाई कर्मियों का टेंडर किया गया है। जिसमें ढाई प्रतिशत लाभांश की दर से टेंडर कर वर्कऑर्डर जारी कर दिया गया है। जबकि निगम ने जोन-8 में यह बता कर टेंडर निरस्त किया है कि 3 प्रतिशत से कम लाभांश दर पर टेंडर नहीं किया जा सकती है। इस संबंध में निगम मुख्यालय से मौखिक निर्देश होने का हवाला भी दिया गया है। लेकिन आदेश में यह बात स्पष्ट नहीं है।

डीबी स्टार के पास मौजूद दस्तावेजों से गड़बड़ी का खुलासा

डीबी स्टार ने जब पड़ताल की तब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ निगम के ही दस्तावेजों में नियमों का कोई मापदंड नहीं है। सभी जगह अलग-अलग नियमों का उपयोग किया जा रहा है। सूत्रों का यह भी दावा है कि जितने कर्मचाययों का वर्क ऑर्डर जारी किया गया है। उतने मौके पर रोज हाजिर नहीं होते हैं

जिस कंपनी को टेंडर दिया गया है उसके खिलाफ यह भी शिकायत है कि पूरे कर्मचारी काम पर नहीं आते हैं। बल्कि सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है। लेकिन इसके बाद भी ठेकेदार को वर्कऑर्डर जारी कर दिया गया है।

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