सतगुरु कबीर साहेब: मानवता, भक्ति और गुरु परंपरा का अमर प्रकाश

सतगुरु कबीर साहेब जी निर्गुण भक्ति धारा के अग्रनी सन्त हुए उन्होंने जीवों के कल्याण एवं उद्धार के लिए समाज मे व्याप्त कुरीतियों प्रथाओं रूरहिवादिता अंधविश्वास को दूर करने के लिए हर युग मे प्रगट होकर मानवों को सतमार्ग के लिए प्रेरित किये|



सतयुग मे सत सुकृत साहेब ने खेमसरी के द्वारा त्रेता मे मुनींद्र नाम साहेब मंदोदरी द्वारा द्वापर मे करुणामय साहेब जी रानी इन्द्रमती के द्वारा कलयुग मे कबीर साहेब धर्म दास अमीन माता के माध्यम से जीवों को भव सागर से पार होने का रास्ता बताया इसी कड़ी मे कबीर धनी धर्म दास वंश गुरू गद्दी परम्परा कि स्थापना किया।



वर्तमान मे धर्म नगर दामाखेडा जिला बालोदाबाजार छत्तीसगढ़ जो की कबीर पंथीयों का एक बड़ा एवं प्रमुख आस्था का प्रतीक एवं धर्म स्थल है। संवत् 1455 मे सतगुरु कबीर साहेब ने अपने प्रिय शिष्य धनी धर्म दास साहेब जो की केसोंधन वैश्य वर्ण के एक धनाद्या व्यक्ति थे। वे 56 सव् करोड़ के मालिक हुआ करते थे|

जो कबीर जी को गुरु रूप मे पाकर अपना सर्वास्त उनके चरणों मे अर्पण कर वैराज्ञ एवं सतगुरु की अनन्त भक्ति मे जुड़ गए। कबीर साहेब उनके समर्पण त्याग एवं भक्ति से प्रसनन होकर निज सार शब्द सत्य नाम एवं गुरु दीक्षा देकर उनके पुत्र चुरा मनी नाम ( मूकता मनी नाम) साहेब का चादर तिलक कर अखंड 42 वंश तक वंश गुरु गद्दी की स्थापना एवं आशिर्वाद प्रदान किये|
इन 42 वंश होने तक 10 हजारी शाखा वंश गुरु गोसाईं होने का भी आशीर्वाद प्रदान किये। आज वचनो के अनुसार धर्म नगर मे 15 वे वंश गुरु के रूप मे पंथ हुजुर प्रकाश मुनि नाम साहब एवं 16 वे वंश गुरु नवोदित वंशाचार्य पंथ हुजुर उदित मुनि नाम साहेब जी विराजमान है।
इन्ही के शाखा वंश घराना ग्राम पोस्ट भटगाँव थाना परपोडी तहसील साजा जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़ मे शाखा वंश गुरु गोसाई गणेश गोस्वामी जी के प्रपौत्र धैर्य गुरु गोसाईं उम्र 5 वर्ष जी से कबीर पंथ बंदगी आरती एवं कुछ अन्य वार्तालाप सुनिए|