बिलासपुर हाईकोर्ट का अहम फैसला: पत्नी की सहमति के बिना अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध नहीं मानते

बिलासपुर | छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि पत्नी की सहमति के बिना उनके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना अपराध नहीं है।



न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार व्यास की एकल पीठ ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 और 377 के तहत पति के खिलाफ बलात्कार या अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, यदि पत्नी 15 वर्ष से अधिक उम्र की हो।



यह मामला 2017 में घटित एक घटना से जुड़ा है, जिसमें मृतक पीड़िता के पति पर आरोप था कि उसने अपनी पत्नी के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध अप्राकृतिक यौन संबंध बनाए।

इसके बाद पीड़िता की तबियत बिगड़ी और इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। इस मामले में पुलिस ने आरोपित के खिलाफ धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) और 376 (बलात्कार) के तहत केस दर्ज किया था।
ट्रायल कोर्ट ने आरोपित को दोषी ठहराते हुए उसे 10 साल की कठोर सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस सजा को रद्द कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि पत्नी 15 वर्ष से अधिक आयु की हो, तो पति और पत्नी के बीच के यौन संबंध या क्रियाएं बलात्कार नहीं मानी जा सकतीं।
कोर्ट ने यह भी कहा कि धारा 304 (हत्या) के तहत आरोपित को दोषी ठहराना “विकृत” है और इस पर हस्तक्षेप किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने अपीलकर्ता को सभी आरोपों से बरी करते हुए उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया।
यह निर्णय कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें भारतीय दंड संहिता की धाराओं का विश्लेषण किया गया और परिवारिक मामलों में यौन संबंधों के कानूनी पहलुओं पर ध्यान दिया गया।