ब्रेकिंग
उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने में उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के कार्य सराहनीय – अरुण साव मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने युवाओं के साथ किया आत्मीय संवाद श्रमिक कल्याण और ऊर्जा के क्षेत्र में विकास को लेकर राज्य सरकार प्रतिबद्ध : मुख्यमंत्री विष्णु देव स... दुर्ग में दो अलग-अलग घटनाओं में दो युवक की मौत, एक की लाश नदी में मिली, दूसरा तालाब में डूबा न्यायमूर्ति अभय मनोहर स्प्रे, अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट ऑन रोड सेफ्टी के द्वारा आज दिनांक को दुर्ग जिले ... सुशासन तिहार के प्रथम चरण में 109452 आवेदन प्राप्त हुए - मांग के 106421 आवेदन एवं शिकायत के 3031 आव... शिवनाथ नदी पुल के नीचे मिला अज्ञात व्यक्ति का शव, पुलिस जांच में जुटी गया नगर में युवक ने लगाई फांसी, कारणों की जांच में जुटी पुलिस तेज रफ्तार एसयूवी की टक्कर से आठ लोग घायल, पुलिस ने आरोपी चालक को पकड़ा नागपुर रेलवे स्टेशन पर सीजी सुपरफास्ट न्यूज चैनल के सम्पादक सुरेश गुप्ता की खास बातचीत: कारीगिरी और ...
देश

न्याय की नई देवी: सुप्रीम कोर्ट में स्थापित हुई नई मूर्ति

नईदिल्ली । न्याय की देवी का रूप बदल गया है। सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की नई मूर्ति लगाई गई है। इस मूर्ति की आंखों से पट्टी हटा दी गई है जो कानून के अंधे होने का संकेत देती थी। उनके हाथ में तलवार की जगह संविधान है। ये मूर्ति सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है।

न्याय की देवी की नई मूर्ति CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने ऑर्डर देकर बनवाई है। इसका उद्देश्य ये संदेश देना है कि देश का कानून अंधा नहीं है। ये सजा का प्रतीक नहीं है। पुरानी मूर्ति की आंखों पर पट्‌टी ये बताती थी कि कानून की नजर में सब बराबर हैं। वहीं तलवार अथॉरिटी और अन्याय को सजा देने की शक्ति को दिखाती थी।

न्याय की देवी के दाएं हाथ में तराजू अब भी है। ये सामाजिक संतुलन का प्रतीक है। तराजू ये दिखाता है कि कोर्ट किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले दोनों पक्षों के तथ्यों और तर्कों को देखते-सुनते हैं।

ब्रिटिश काल की धरोहर को पीछे छोड़ने की कोशिश के रूप में इस मूर्ति को देखा जा रहा है। हाल ही में भारत सरकार ने ब्रिटिश शासन के दौरान लागू इंडियन पीनल कोड (IPC) की जगह भारतीय न्याय संहिता (BNS) को लागू किया। लेडी ऑफ जस्टिस की मूर्ति में बदलाव भी इसी दिशा में एक कदम माना जा सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button