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छत्तीसगढ़

बार बार जल संकट तकनीकी खराबी से ज्यादा प्रशानिक लापरवाही का नतीजा

दुर्ग | गर्मी से लेकर बरसात या बारिश से लेकर ठंड मौसम कोई भी हो त्योहार हो या कोई उत्सव लेकिन दुर्ग की जनता हर हफ्ता 15 दिन में पानी की समस्या से जूझता है और ईस समस्या से निजात दिलाने या ईनका कोई स्थाई हल के लिए नगर निगम के जिम्मेदारों द्वारा कोई ठोस प्रयास नहीं किया जाता नतीजा लोग लगातार जल संकट से हलाकान होते है शहर में बार बार पानी की समस्या होने पर निगम के पूर्व सभापति दिनेश देवांगन ने निगम प्रशासन पर जोरदार हमला बोलते हुए|

कहा की यह समस्या तकनीकी खराबी से ज्यादा प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है और ये जनता का बड़ा दुर्भाग्य हैं की केंद्र कि मोदी सरकार द्वारा शहर के प्रत्येक घरों तक पानी पहुंचाने अमृत मिशन के तहत 152 करोड़ से भी अधिक की राशि देने के बाद भी निगम में महापौर धीरज बाकलीवाल के कांग्रेसी परिषद के 5 साल के कार्यकाल में सही क्रियान्वयन नहीं होने व भ्रष्ट नीतियों के चलते जनता पानी के लिए त्रस्त है इसलिए अब जरूरी है कि इस पूरे प्रोजेक्ट से लेकर वर्कशीट तक हुए पूरे कार्यों व व्यवस्थाओं का किसी विशेषज्ञ व सक्षम संस्थानों द्वारा ऑडिट हो और समूचे जल आपूर्ति सिस्टम का निरंतर मानिटिंग हो और गड़बड़ी होने पर जिम्मेदारी भी तय हो ताकि इस तरह से कोई तकनीकी खामी होने पर वैकल्पिक तौर पर लोगो को सुचारू रूप से पानी मिलता रहे ।

निगम के पूर्व सभापति व भाजपा प्रवक्ता दिनेश देवांगन ने आगे कहा नगर निगम में विगत 5 वर्षो में जब से महापौर धीरज बाकलीवाल की कांग्रेसी परिषद काबिज हुई है तब से जल संकट निगम की शगल बन गया है रायपुर नाका फिल्टर प्लांट अमृत मिशन के तहत लाखो रुपए की पैनल बोर्ड से लेकर कई जरुरी उपकरणों की खरीददारी कर नए लगाए गए है फिर भी उसने खराबी आना उपकरण की क्वालिटी व परिषद की विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न करता है इसी प्रकार शिवनाथ नदी में गंदे पानी जाने से रोकने लाखो खर्च करने के बाद भी इंटकवेल निर्माण पूर्ण नहीं होने से नदी पंप हाउस में कचरा फंसने,तो कभी बिजली में खराबी तो कभी मशीनी खामियां हर समय कुछ न कुछ कारणो से जल आपूर्ति बाधित होती है|

लेकिन फिर भी जिम्मेदार सत्तासीन पदाधिकारीयो या अधिकारियों द्वारा पूर्व से कोई वैकल्पिक तैयारी नही की जाती और आग लगने पर कुआ खोदने वाले की नीति की तरह कार्य करते है वर्तमान में विगत 2 दिनो से रायपुर नाका 42 एम एल डी फिल्टर प्लांट की खराबी भी उसी का नतीजा है जिसमे विगत 3 माह पूर्व जुलाई माह में हुए 6 दिनो तक हुए जल संकट जिसमे नए पैनल बोर्ड में खराबी आई थी जिसे बड़ी मुश्किल से सुधारा गया था |

और अब फिर उसी पैनल बोर्ड के उड़ने से जो दो दिनों से शहर की आधे से ज्यादा आबादी में पानी आपूर्ति प्रभावित हुई इससे प्रमाणित होता है कि पैनल बोर्ड किस स्तर का है जिसे अस्थाई रिपेयर कर काम चला रहा है कि तर्ज पर बगैर तकनीकी विशेषज्ञों के अभाव में चलाया जा रहा है जो बाद में अन्तत:फिर बड़ी खराबी के रुप में सामने आएगा और नतीजा लोगो को फिर आने वाले दिनों में पानी के लिए तरसना पड़ेगा और इसका खामियाजा प्रभावित वार्डो के जनप्रतिनिधियों को भुगतना पड़ेगा जिसके लिए लोग अकारण उसे कोसेंगे ।

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