बच्चों के राशन पर ई-केवाईसी का फंदा: हक छीनने का नया तरीका

अमित दुबे की रिपोर्ट :-



बिलासपुर: रतनपुर से राशन कार्ड से बच्चों का नाम कटा, परिवार को मिल रहा कम राशन???? गरीबों के हक पर हो रहा है हमला।



खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिलने वाले राशन में कटौती अब ई-केवाईसी के नाम पर की जा रही है। पहले बच्चों की ई-केवाईसी का कोई जिक्र नहीं हुआ, लेकिन अब अचानक उनका नाम राशन सूची से हटा दिया गया।

क्या है मामला?
बिलासपुर समेत कई जिलों में गरीब परिवारों के बच्चों के नाम राशन कार्ड से काट दिए गए हैं। कारण बताया जा रहा है ई-केवाईसी न होना। सवाल यह है कि जब शुरुआत में बच्चों की ई-केवाईसी की बात ही नहीं की गई,
तो अचानक उनके नाम काटकर राशन बंद क्यों किया गया? गरीब परिवार पहले ही महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। अब बच्चों का राशन भी छीन लिया गया। क्या यही सुशासन है?
बिलासपुर की जनता ठगी गई
यह मामला और भी गंभीर तब बनता है, जब हम देखते हैं कि यह कटौती उपमुख्यमंत्री के गृह जिले में हो रही है। जो राज्य खाद्य सुरक्षा कानून का दावा करता है, वहां गरीब बच्चों का भविष्य अंधकार में डालने की साजिश हो रही है।
प्रभावित परिवारों का दर्द
बिलासपुर रतनपुर के कई ग्रामीण परिवारों ने शिकायत की है कि बच्चों का नाम हटने से अब उन्हें राशन नहीं मिल रहा। ई-केवाईसी कराने का आदेश भी अचानक जारी हुआ और इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि ज्यादातर गरीब परिवार इसे पूरा नहीं कर पाए।
सरकार की जिम्मेदारी
यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह गरीबों का हक सुनिश्चित करे। लेकिन ऐसा लगता है कि योजनाओं को जटिल बनाकर जनता को परेशान किया जा रहा है। सवाल यह है कि
बच्चों के नाम राशन सूची से क्यों काटे गए?
पहले ई-केवाईसी की अनिवार्यता क्यों नहीं बताई गई?
कटौती से प्रभावित परिवारों की भरपाई कौन करेगा?
क्या यही है सुशासन?
बच्चों का राशन काटकर उनकी भूख से खिलवाड़ करना, गरीब परिवारों के साथ अन्याय है। क्या यही सुशासन है? क्या गरीबों की परेशानियों को अनदेखा करना सरकार की नई नीति है?
गरीब जनता जवाब मांग रही है।
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