दुर्ग में ऐतिहासिक निशान यात्रा का आयोजन, 1100 से अधिक श्याम प्रेमियों ने लिया भाग

दुर्ग | छत्तीसगढ़ की धार्मिक नगरी दुर्ग में शनिवार को पहली बार प्रदेश की सबसे बड़ी निशान यात्रा का आयोजन किया गया। इस अद्भुत और श्रद्धामयी यात्रा में 1100 से अधिक श्याम प्रेमियों ने भाग लिया और निशान उठाकर बाबा श्याम के प्रति अपनी आस्था प्रकट की।



निशान यात्रा का शुभारंभ
निशान यात्रा सत्तीचौरा स्थित मां दुर्गा मंदिर से प्रारंभ होकर कादम्बरी नगर स्थित श्री श्याम मंदिर तक निकाली गई। इससे पहले मां दुर्गा मंदिर में बाबा श्याम की ज्योत प्रज्वलित की गई और भव्य पूजा-अर्चना के साथ महाआरती व पुष्पांजलि संपन्न हुई।



आयोजन समिति के प्रमुख योगेंद्र शर्मा बंटी ने बताया कि निशान यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। पदयात्रा के दौरान नगरवासियों ने भक्ति से भाव-विभोर होकर यात्रियों का भव्य स्वागत किया।

निशान यात्रा की विशेषताएं
यात्रा में लाल, पीले, केसरिया और सफेद रंग के निशानों पर बाबा श्याम और भगवान श्रीकृष्ण के जयकारों के साथ उनकी तस्वीरें लगाई गईं। निशानों पर नारियल और मोरपंख भी सजाए गए थे, जो बाबा श्याम की कृपा और विजय का प्रतीक माने जाते हैं। यात्रा के मार्ग पर जगह-जगह फूलों की वर्षा और आतिशबाजी की गई।
धार्मिक मान्यताएं और उत्सव का महत्व
पदयात्रा कर निशान चढ़ाने की परंपरा बाबा श्याम के महाबलिदान की याद में की जाती है। ऐसा माना जाता है कि बाबा श्याम ने धर्म की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण को अपना शीश दान में दिया था। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि निशान चढ़ाने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
नगर में श्रद्धा और उत्साह का माहौल
यात्रा दुर्गा मंदिर से शनिचरी बाजार, गांधी चौक, सदर बाजार, मोती कॉम्प्लेक्स, इंदिरा मार्केट, स्टेशन रोड और धमधा ओवरब्रिज होते हुए कादम्बरी नगर श्री श्याम मंदिर पहुंची। पूरे मार्ग में “श्याम बाबा की जय” और “हारे का सहारा श्याम हमारा” के जयकारे गूंजते रहे।
श्याम मंदिर में पहुंचने पर बाबा श्याम की झांकी के दर्शन किए गए और निशान चढ़ाकर श्रद्धालुओं ने अपनी मन्नतें मांगी।
विशिष्ट उपस्थिति
इस यात्रा में अरुण वोरा, रामफल शर्मा, अशोक राठी, पायल जैन, देवनारायण चंद्राकर, नारायण खेतान, प्रीति राजगढ़िया सहित हजारों श्याम प्रेमी उपस्थित थे। महिलाओं, युवाओं और बच्चों ने भी भारी उत्साह के साथ निशान यात्रा में भाग लिया।
दुर्ग की इस ऐतिहासिक निशान यात्रा ने धार्मिक और सामाजिक समरसता का संदेश दिया और श्रद्धालुओं को भक्ति के रंग में रंग दिया।