बर्खास्त सहायक शिक्षकों ने मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों को खून से लिखा पत्र, न्याय की गुहार और चेतावनी दी

रायपुर: प्रदेशभर के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत बीएड प्रशिक्षित शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद से सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। 97 दिनों से लगातार शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठे बर्खास्त सहायक शिक्षकों ने आज मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों को अपने खून से हस्तलिखित निवेदन पत्र भेजा और न्याय की गुहार लगाई है।



इन शिक्षकों ने अपने पत्र में स्पष्ट रूप से कहा कि वे केवल न्याय की मांग कर रहे हैं और सरकार के पास संवैधानिक रूप से इन्हें समायोजित करने का पूरा अधिकार है। इस ऐतिहासिक विरोध कार्यक्रम में हजारों शिक्षकों ने एक साथ धरने पर बैठकर सरकार से समायोजन, सेवा सुरक्षा और उनके अधिकारों की मांग की है।



बर्खास्त शिक्षकों का कहना है कि जब उन्होंने परीक्षा दी, पास की और अच्छे अंक लाए, तब उन्हें नौकरी मिली। अब जब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया है, तो उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से कानूनी थी, तो वे दोषी कैसे हो सकते हैं?

नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे शिक्षकों ने सरकार से अपील की कि उनकी समायोजन की प्रक्रिया जल्दी शुरू की जाए, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित हो सके। उन्होंने यह चेतावनी दी है कि अगर सरकार जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो उनका आंदोलन और उग्र हो सकता है।
इन बर्खास्त शिक्षकों ने कहा कि 15 महीनों तक उन्होंने निष्ठा से काम किया और चुनाव ड्यूटी भी निभाई, लेकिन अब नौकरी से बाहर होने के बाद वे मानसिक और आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि क्या उनका परीक्षा देना और अच्छे अंक लाना उनकी गलती थी?
शिक्षकों ने सरकार से अंतिम अपील करते हुए कहा कि जब तक उन्हें समायोजित नहीं किया जाता और उनकी नौकरी बहाल नहीं की जाती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।