भालू की संदिग्ध मौत के मामले में वन विभाग ने की बड़ी कार्रवाई, दो वनरक्षकों को किया निलंबित

बालोद | बालोद जिले में भालू की संदिग्ध मौत के मामले में वन विभाग ने पहली बार बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में दो वनरक्षकों को निलंबित कर दिया गया है। वन मंडल अधिकारी ने सिविल सेवा नियम 1966 के तहत तत्काल प्रभाव से इन्हें निलंबित किया है। आरोप है कि इन दोनों वनरक्षकों, विशेखा नाग और दरेनकुमार पटेल ने खुद के निर्णय से भालू के शव को दफनाया था। दोनों वनरक्षक अलग-अलग वन परिसरों में कार्यरत हैं।



मामले की जांच और तेज कर दी गई है, और यह संभावना जताई जा रही है कि इस पूरे मामले में और भी कार्रवाई की जा सकती है। वन विभाग ने निलंबन की यह कार्रवाई 24 मार्च को देर शाम तक की। इस कार्रवाई के बाद से पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है।



भालू की संदिग्ध मौत:

यह घटना 24 फरवरी को हुई थी, जब आंदोलन जलाशय के पास एक भालू की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। हालांकि, इस दौरान न तो भालू का पंचनामा किया गया और न ही उसका पोस्टमार्टम। वनरक्षकों ने बिना किसी अधिकारियों को सूचित किए भालू के शव को दफनाने का निर्णय लिया था, जो नियमों का उल्लंघन था।
जांच और खुदाई:
कुलसी क्षेत्र में इस मामले की जांच के बाद वन विभाग ने खुदाई की और भालू का शव बरामद किया। इसके बाद, सभी नियमों का पालन करते हुए मृत भालू के शरीर के सैंपल लेकर उसका दाह संस्कार किया गया।
तीन सदस्यीय जांच टीम:
भालू की संदिग्ध मौत के मामले में वन विभाग ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। प्रारंभिक जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में वनरक्षकों की लापरवाही को प्रमुख कारण बताया। इसके बाद सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 के नियम तीन का उल्लंघन पाया गया। इसके चलते छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 9 के तहत दोनों वनरक्षकों को निलंबित कर दिया गया है।
यह मामला अब सरकार तक भी पहुंच चुका है, और सरकार ने इस पर जांच रिपोर्ट तलब की है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार भी इस पूरे मामले में अपनी जांच करा सकती है।