बीएसपी और अक्षय पात्र फाउंडेशन के मध्य मध्याह्न भोजन आपूर्ति के लिए हुआ समझौता दुर्ग जिले के पच्चीस हजार से अधिक बच्चों को मिलेगा लाभ

भिलाई। कुपोषण उन्मूलन व बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने कि दिशा में
एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए गुरूवार 10 अप्रैल को भिलाई इस्पात
संयंत्र के सीएसआर विभाग एवं अक्षय पात्र फाउंडेशन के बीच मध्यान्ह भोजन
आपूर्ति के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।



कार्यपालक निदेशक मानव संसाधन पवन कुमार ने भिलाई इस्पात संयंत्र की ओर
से तथा क्षेत्रीय अध्यक्ष टीएपीएफ व्योमपाद दासा ने अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर महाप्रबंधक सीएसआर शिवराजन, उप-महाप्रबंधक ईडी एचआर सचिवालय राजीव कुमार, वरिष्ठ प्रबंधक सीएसआर श्री. एस.के कामड़े भी उपस्थित थे।



इस नवीनीकृत समझौते के अंतर्गत दुर्ग जिले के सरकारी प्राइमरी एवं मिडिल
स्कूलों में अध्ययनरत लगभग 25,000 बच्चों को प्रतिदिन पोषक मध्याह्न भोजन
प्रदान किया जाएगा। भिलाई इस्पात संयंत्र और टीएपीएफ के मध्य यह समझौता
31 मार्च 2028 तक प्रभावी रहेगा। इस अवधि के दौरान भिलाई इस्पात संयंत्र
का निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व विभाग वार्षिक लगभग रू. 2 करोड़ का सहयोग
प्रदान करेगा।

उल्लेखनीय है कि पूर्व वर्षों में भी भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा आधुनिक
रसोईघर निर्माण तथा भोजन आपूर्ति हेतु विशेष रूप से वाहन क्रय करने में
सहायता अक्षय पात्र फाउंडेशन को प्रदान की गई है। प्रधानमंत्री पोषण
शक्ति निर्माण पीएम पोषण योजना, जिसे पूर्व में मध्याह्न भोजन योजना के
रूप में जाना जाता था, एक केंद्र प्रायोजित पहल है, जिसके अंतर्गत सरकारी
और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बालवाटिका से लेकर कक्षा 8 तक के
बच्चों को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है।
अक्षय पात्र फाउंडेशन भारतीय ट्रस्ट अधिनियम के अंतर्गत गठित एक गैर-लाभकारी ट्रस्ट है। यह
फाउंडेशन वर्ष 2008 से भिलाई इस्पात संयंत्र के सहयोग से सेक्टर-6, भिलाई
स्थित ओल्ड डेयरी बिल्डिंग से मध्यान्ह भोजन योजना संचालित कर रहा है।
पूर्व से ही सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा विशेषकर दूरस्थ वनांचल
क्षेत्रों में बच्चों में पोषण सुनिश्चित करने की दिशा में गिफ्ट-मिल्क
स्कीम आदि जैसे कई पहल किये गए हैं, जिससे शिक्षा में उनकी नियमितता और
एकाग्रता को भी बढ़ावा मिले। यह प्रयास सामाजिक उत्तरदायित्व के माध्यम
से सतत विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।