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दुर्ग

ग्रामीण बच्चों ने अपनी आंखों से देखे जुपिटर और उसके चार चांद

भिलाई। अंधविश्वास के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम के अंतर्गत दुर्ग से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर स्थित गांवों  डुंडेरा और पुरई  के राष्ट्रीय भारती स्कूल और नवमंगल स्कूल के बच्चों ने शनिवार 5 अप्रैल की शाम टेलिस्कोप से आसमान पर दुर्लभ नजारा देखा। यहां बच्चों को खगोलीय  घटनाओं से अवगत कराया गया और इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

इस दौरान बच्चों ने यह देखा जाना और समझा कि किस तरह कुछ ठग व्यक्ति, अपने को पहुंचा हुए बाबा बताते हुए चमत्कार दिखाने की घोषणा करते हैं और खुद को अलौकिक शक्तियों का स्वामी बताकर उनके मन की बात या बिना खोले किसी बंद कागज के अंदर की बात बताने का दावा करते हैं, जो कि पूरी तरह फर्जी है।

छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा भिलाई इकाई और भिलाई स्टील प्लांट के अधिकारियों के संगठन डॉ अंबेडकर एग्जीक्यूटिव फ्रेटरनिटी के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इन कार्यक्रमों में उक्त प्रदर्शन पूर्व अपर कलेक्टर और विज्ञान कार्यकर्ता विश्वास मेश्राम ने कथित चमत्कारों की पोल खोल दी । उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि विज्ञान का मतलब किताबी ज्ञान बस नहीं होता बल्कि “सवालों के जवाब खोजना और दिए गए जवाबों पर प्रश्न उठाना होता है।”

उन्होंने बच्चों और बड़ों से अंधविश्वास के नुकसान बताते हुए इसे छोड़ने की अपील की और किसी भी बात को पहले जानने और तब मानने की बात कही।

उन्होंने विद्यार्थियों को सचेत किया कि भारतीय समाज में हमारे सौर मंडल के शनि और मंगल ग्रह के बुरे ग्रह होने के बारे में व्याप्त बातें केवल झूठी बातें हैं और इसकी आड़ में कुछ चालाक और धूर्त लोग, सरल सीधे लोगों को ठगने और पैसे कमाने का काम करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि शनि ग्रह हमारे सौर मंडल का सबसे सुंदर दिखने वाला ग्रह है। इसके चारों ओर बना वलय, धूल और बर्फ के कणों से बना हुआ है जो शनि ग्रह के चारों ओर परिभ्रमण करते हैं। शनि पृथ्वी से इतनी अधिक दूर है कि इसका मनुष्यों के जीवन पर कोई भी दुष्प्रभाव नहीं होता।

मंगल ग्रह को अपने टेलीस्कोप से दिखाते हुए विश्वास मेश्राम ने बताया कि पृथ्वी और बृहस्पति ग्रह के बीच स्थित मंगल ग्रह आकार में पृथ्वी का आधा है। इस पर भारत के अंतरिक्ष अभियान को चलाने वाले संगठन इसरो ने मार्स ऑर्बिटर मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया है। हमारे बीच व्याप्त मांगलिक वर वधु की बातें अंधविश्वास का नमूना है। मंगल ग्रह एक जीवन विहीन ग्रह है और इसके धरातल पर लौह तत्व की अधिकता के कारण यह थोड़ा लाल रंग का दिखाई देता है।

उन्होंने विज्ञान सभा के 150 मिलीमीटर व्यास के न्यूटोनियन टेलिस्कोप से लोगों को एक एक कर रात 9.30 बजे तक चंद्रमा के क्रेटर्स और जुपिटर के चार गैलीलियन चंद्रमा – आयो, यूरोपा, गेनिमेड और कैलिस्टो को दिखाया और रात में दिख रहे विभिन्न तारामंडलों की पहचान कराई।
डॉ अंबेडकर एग्जीक्यूटिव फ्रेटरनिटी भिलाई के को फाउंडर और भिलाई स्टील प्लांट के पूर्व चीफ जनरल मैनेजर एल उमाकांत ने विद्यार्थियों को डॉ अंबेडकर जैसे तार्किक बनने के लिए मोटिवेट किया।

उन्होंने उन्हें बताया कि किस तरह बाबासाहेब अंबेडकर सभी को अंध विश्वासों से दूर रहने कहते थे। इसीलिए उन्होंने सबको शिक्षित होने, संगठित होने और संघर्ष करने कहा। उन्होंने अपने गांव से निकल कर हैदराबाद जाकर इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने और सेल में चीफ जनरल मैनेजर जैसा ऑफिसर बनने का अनुभव बताते हुए उन्हें मन लगाकर पढ़ने के लिए मोटिवेट किया।

बच्चों को बीएसपी के अधिकारीगण एस पी निगम, बी बाला, सुधीर रामटेके, उदय खरात, चित्रसेन कोसरे, नोहर सिंह ढीढी और  प्रिंसिपल द्वय बी आर मौर्य भारती स्कूल डूंडेरा तथा दया राम साहू नव मंगल स्कूल पुरई ने भी संबोधित किया।  कार्यक्रम में गणमान्य नागरिक उषा ढीढी, जीवन बारले, सुनील बंजारे, केशव महिपाल, रामेश्वर प्रसाद और खोमलाल साहू की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही। दयाराम साहू  ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया गया। अंत में विज्ञान सभा की ओर से चित्रसेन कोसरे ने आभार व्यक्त किया।

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