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दुर्ग

पिछले तीन साल में हत्या के मामले में दिखी अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी नकबजनी और चोरी के मामलों में नजर आया सामान्य गिरावट

दुर्ग। दुर्ग जिले में पिछले कुछ सालों से अपराध का आंकड़ा लगातार बढ़त जा रहा है। हालांकि ऐसा नही है कि अपराधी पकडे नही जा रहे है, अपराधी पकडे भी जा रहे है फिर भी कानून के डर नाम का कोई चीज अपराधियों में नही दिखाई दे रहा है, क्योंकि अधिकांश अपराधी सेंटिंग के तहत अच्छे से अपनाजेल में भी रह रहे है,जो समय समय पर छापेमारी में खुलासा भी होता रहा है।

यही कारण है कि अपराधी बेखौफ  होकर बड़ी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। कई अपराधी जेल में रहकर और अलग अलग गैंग बनाकर भी जेल से छूटते ही घटनाओं को अंजाम दे रहे है।

आंकड़ो की बात करें तो हत्या, हत्या का प्रयास, लूट और धोखाधड़ी ज्यादा हुई हैं। वहीं नकबजनी और चोरी जैसे मामलों में सामान्य गिरावट आई है जो पुलिस के लिए कुछ हद तक राहत की बात है।

दुर्ग जिले में अपराध नियंत्रण को लेकर की जा रही पुलिस की कवायद नाकाफी साबित हो रही है। पिछले तीन साल के आंकड़े से यही लग रहा है कि पुलिस अपराधियों पर नकेल कसने तथा अपराध रोकने में विफल साबित हो रही है।

बात अगर तीन वर्षो की करें तो इस अवधि में वर्ष 2024 में रिकॉर्ड तोड़ अपराध हुए हैं। खासकर हत्या और हत्या के प्रयास के मामले में अप्रत्याशित तेजी देखने को मिली है।

हालांकि कुछ मामले में गिरावट आई है लेकिन यह गिरावट ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। हत्या के मामले में वर्ष 2022 में 39, 2023 में 47 और वर्ष 2024 में तो 61 तक पहुंच गया।

हत्या के प्रयास वर्ष 2022 में 57, 2023 में 47 व वर्ष 2024 में बढ़कर 119 हो गया है। इसी तरह से लूट की बात करें तो वर्ष 2022 में 61, वर्ष 2023 में 48 व वर्ष 2024
में 51 हैं। वहीं धोखाधड़ी में वर्ष 2022 में 106, वर्ष 2023 में 167 और वर्ष 2024 में 243 है।
यहां पर यह बताना लाजिमी है कि अपराध का कोई सीजन नहीं होता, मगर दुर्ग पुलिस के आंकड़ों की मानें तो किसी भी साल की शुरुआती महीनों में अपराध की गति धीमी रहती है और फिर अंत तक पहुंचते-पहुंचते रफ्तार पकड़ लेती है।

जानकारों का मानना है कि इसकी एक वजह यह भी है कि कईं मामलों में पुलिस फरियादियों की थाना स्तर पर रिपोर्ट दर्ज करने से ही आना-कानी करती रहती
है।

बाद में फरियादी के कोर्ट के जरिए या पुलिस के उच्च अधिकारियों के पास गुहार लगाने पर मामला दर्ज होता है। वैसे तो कानून व्यवस्था बनाए रखने और अपराधों पर अंकुश का जिम्मा दुर्ग पुलिस के कंधों पर है।

मगर हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, लूट, अपहरण, दुष्कर्म, बलवा, नकबजनी, चोरी आदि की रोकथाम पर पुलिस का अधिक जोर रहता है। जबकि ये गंभीर अपराध ही कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं।

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