ब्रेकिंग
वाहन चालकों के लिए हेलमेट, सीटबेल्ट के उपयोग व लायसेंस एवं बीमा होना जरूरी- न्यायमूर्ति श्री अभय मनो... नागरिकों की शिकायते सुनने टोल फ्री नंबर 1800 233 0788 सेवा में डिप्टी कलेक्टर को सौंपा गया अतिरिक्त प्रभार अपर कलेक्टरों के मध्य कार्यों का विभाजन प्याऊ घर की सुविधा मिलने से लोगों को भीषण गर्मी में पेयजल उपलब्ध होता है,स्वयंसेवी संस्थाओं ने हमेशा... रास्ते में मोबाईल छीन कर भागने वाले को पकड़ने में दुर्ग पुलिस को मिली सफलता उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने में उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के कार्य सराहनीय – अरुण साव मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने युवाओं के साथ किया आत्मीय संवाद श्रमिक कल्याण और ऊर्जा के क्षेत्र में विकास को लेकर राज्य सरकार प्रतिबद्ध : मुख्यमंत्री विष्णु देव स... दुर्ग में दो अलग-अलग घटनाओं में दो युवक की मौत, एक की लाश नदी में मिली, दूसरा तालाब में डूबा
रायपुर

बस्तर पंडुम समृद्ध जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक अद्वितीय मंच-राज्यपाल रमेन डेका

रायपुर | राज्यपाल  रमेन डेका दंतेवाड़ा जिले के प्रवास के दौरान आज बस्तर पंडुम कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होने  ऐतिहासिक कार्यक्रम ’’बस्तर पंडुम 2025, के आयोजन के लिए प्रशासन और विशेष रूप से मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह आयोजन पहली बार हो रहा है और इसका मुख्य उद्देश्य बस्तर की  जनजातीय पारंपरिक कला, नृत्य, जनजातीय व्यंजन, स्थानीय खाद्य पदार्थ और संस्कृति को संरक्षित करना है।

इस कार्यक्रम में बस्तर के सात जिलों सहित असम, ओडिशा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश तेलंगाना राज्यों के लगभग 1200 कलाकार भाग ले रहे हैं। महोत्सव न केवल बस्तर की रीति लोक कला को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य किया है, बल्कि स्थानीय लोक कलाकार को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक अद्वितीय मंच भी प्रदान किया है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि बस्तर का जनजातीय संस्कृति अपने अनोखी परंपरा, लोकगीत, नृत्य शैलियां और अपने हस्तशिल्प के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है।

यहाँ की प्रमुख जनजाति गोंड, मुरिया, मडिया हल्बा, धुरवा, दोरला आदि हैं। बस्तर के जनजातीय समुदाय के लोग पंडुम में मुख्य रूप से  विभिन्न परम्पराओं, अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं। ग्राम्य देवी -देवताओं की पूजा-अर्चना, लोक नृत्य, लोकगीत और संगीत, सामुदायिक भोज, शिकार, छोटे-छोटे मड़ई-मेला का आयोजन, प्रकृति, जंगल, नदियों का संरक्षण किया जाता है। बस्तर पंडुम हमारी संस्कृति का समीक्षा करने का मौका प्रदान कर रहा है। हम पूरी समर्पण के साथ अपनी विरासत की जड़ों से जुड़कर इसे एक नया आयाम देंगे।

आधुनिक जीवन शैली को स्वीकार करते हुए भी अपनी विरासत को बचाए रखना ही सही मायने में समाज को एक सूत्र में बांधना है। इस तरह के आयोजन से निश्चित रूप से बस्तर के आदिवासी सांस्कृतिक विरासत को अखंड बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होने कहा कि बस्तर पंडुम केवल एक महोत्सव नहीं है, बल्कि यह जनजातीय जीवन का पूरा स्केच है।

यह आयोजन हमें बताता है कि किस प्रकार हमारी संस्कृति, नृत्य, संगीत, वेशभूषा, नृत्य, संगीत, वेशभूषा, खानपान, आभूषण इत्यादि सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखते हैं। बस्तर के परंपरागत नृत्य जैसे गौर-माड़िया नृत्य आदि यहां की सांस्कृतिक विविधता को दिखाते हैं। बस्तर पंडुम के माध्यम से इस संस्कृति को एक मंच दिया जा रहा है। साथ ही इसके प्रदर्शन के माध्यम से अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार और समाज के सहयोग से बस्तर के सांस्कृतिक विरासत हो संरक्षित किया जा रहा है।

दंतेवाड़ा के हाई स्कूल मैदान में आयोजित चार दिवसीय संभाग स्तरीय कार्यक्रम में राज्यपाल  डेका का पारंपरिक धुरवा तुआल एवं कलगी से स्वागत किया गया। कार्यक्रम में सातों जिलों के लगाए गए जनजातीय कला संस्कृति, वेशभूषा, खानपान की प्रदर्शनी का राज्यपाल ने अवलोकन किया। अवलोकन के दौरान उन्होंने जनजातीय पहनावा और आभूषणों के संबंध में युवाओं से चर्चा की।

कार्यक्रम में बीजापुर जिला और असम राज्य के नर्तक दलों द्वारा आकर्षक प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर वनमंत्री  केदार कश्यप, विधायक  चैतराम अटामी, अन्य जनप्रतिनिधि सहित राज्यपाल के सचिव  सीआर प्रसन्ना, कमिश्नर  डोमन सिंह, आईजी  सुंदरराज पी, संस्कृति विभाग के संचालक  विवेक आचार्य, डीआईजी  कमलोचन कश्यप, , कलेक्टर  मयंक चतुर्वेदी, पुलिस अधीक्षक  गौरव राय सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button