अनुकंपा नियुक्ति पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: परिवार में एक सदस्य सरकारी सेवा में होने पर नहीं मिलेगा लाभ

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि मृतक कर्मचारी के परिवार का कोई सदस्य पहले से सरकारी सेवा में कार्यरत है, तो अनुकंपा नियुक्ति के लिए किसी अन्य आश्रित के दावे पर विचार नहीं किया जाएगा। यह फैसला जस्टिस बी. डी. गुरु की एकलपीठ ने सुनाया और इसी आधार पर याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी।




यह मामला मुरारीलाल रक्सेल द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है, जिन्होंने अपनी मां की मृत्यु के बाद नगर निगम बिलासपुर में अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने बताया कि उनकी मां नगर निगम की नियमित कर्मचारी थीं, जिनका 21 अक्टूबर 2020 को निधन हो गया। उन्होंने 22 फरवरी 2021 को नियुक्ति हेतु आवेदन किया था, जिसे 13 सितंबर 2023 को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि याचिकाकर्ता के पिता पहले से ही नगर निगम में कार्यरत हैं।




नगर निगम की ओर से अधिवक्ता संदीप दुबे ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ शासन के 29 अगस्त 2016 के परिपत्र के अनुसार यदि परिवार का कोई सदस्य पहले से सरकारी सेवा में है, तो अनुकंपा नियुक्ति पर विचार नहीं किया जाएगा। उन्होंने रिट अपील संख्या 236/2022 में उमेश ठाकुर मामले में हाई कोर्ट के पूर्व निर्णय का हवाला भी दिया।
याचिकाकर्ता का तर्क था कि वह अपने पिता से लंबे समय से अलग रह रहा है और अपनी मां पर आश्रित था। लेकिन न्यायालय ने स्पष्ट किया कि नीति के अनुसार पारिवारिक स्थिति में सरकारी सेवा में एक सदस्य होने पर किसी अन्य सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जा सकती।
इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि अनुकंपा नियुक्ति वास्तविक आर्थिक संकट की स्थिति में ही दी जाएगी, न कि जब परिवार पहले से सरकारी नौकरी से सुरक्षित है।