आखिर क्यों छत्तीसगढ़ के अधिकारी छात्रों से करते हैं दुर्व्यवहार?

दुर्ग। अपनी समस्याओं को लेकर अधिकारियों के पास जाने वाले छात्र-छात्राओं को छत्तीसगढ़ में अधिकारियों द्वारा दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ रहा है। यही नहीं बल्कि स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को उक्त अधिकारी जेल भेज देने की धमकी देते हैं। पहला मामला राजनांदगांव जिले का है जहां अपने स्कूल के लिए शिक्षक मांगने गए छात्राओं को वहां के deo अभय जायसवाल ने जेल भेज देने की धमकी दी । अधिकारी के धमकी से सहमे हुए छात्र बाहर आकर रो-रो कर मीडिया के सामने अपने पीड़ा बताए । दूसरा मामला बिलासपुर संभाग का है , जहां एक महिला तहसीलदार ने छात्राओं को जेल भेज देने की धमकी देते हुए कहा कि यदि इस तरह सड़क पर उतरोगे, नेतागिरी करोगे , तो जेल में ऐसा सड़ाऊंगी कि कोई बचाने वाला नहीं आएगा ।



अब सवाल उठता है कि शिक्षक की मांग करने या अपनी अधीक्षिका की शिकायत करने गए छात्र-छात्राओं के साथ छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक अधिकारी इस तरह का दुर्व्यवहार क्यों कर रहे हैं।
विद्यार्थियों के साथ गलत भाषा का उपयोग करने वाले अधिकारी यह सब कर अपनी असंवेदनशीलता का परिचय देते हैं। उन्हें लगता है कि छात्र-छात्राओं की मांग राजनीति प्रेरित है, उन्हें बरगलाकर, फुसलाकर अधिकारियों के पास अपनी मांग रखने के लिए भेजा गया है। किंतु यह भी सच है कि ये उनकी शिकायतें जायज है। शिक्षकों की मांग करना या छात्रावास में अव्यवस्था के खिलाफ शिकायत करना कहीं से नाजायज नहीं है।
ऐसे में विद्यार्थियों को धमकी देना जेल भेज देने की धमकी देना छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक अमले की संवेदनशीलता व शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का अभाव दिखता है। जबकि अन्य राज्यों में विद्यार्थियों की मांग पर त्वरित कार्रवाई होती है, सुनवाई होती है। छत्तीसगढ़ में ही ऐसे देखने को मिल रहा है कि अपना अधिकार मांगने गए छात्र-छात्राओं के साथ प्रशासनिक अधिकारी गलत व्यवहार करते हैं। यहां तक उन्हें जेल भेज देने की धमकी भी देते हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि विद्यार्थियों के साथ प्रशासनिक अधिकारी इस तरह का व्यवहार करते हैं तो आम लोगों के साथ उनका रवैया कैसा रहता होगा। आज के विद्यार्थी कल के भविष्य हैं, कल के भारत के भाग्य निर्माता है। वे इस उम्र में यदि व्यवस्था में ऐसा खामी देखेंगे तो व्यवस्था के प्रति उनमें आक्रोश पैदा होगा।
हालांकि मुख्यमंत्री व अन्य बड़े अधिकारियों ने विद्यार्थियों से दुर्व्यवहार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है मगर यह कोई सर्वमान्य हल नहीं है। छत्तीसगढ़ में जो परंपरा चल पड़ी है उसे बदलना होगा । यह सरकारी व्यवस्था की खामी है । इस पर शिद्दत से ध्यान देना जरूरी है।



समस्या दूर करना सबकी जिम्मेदारी…
शिक्षा क्षेत्र में विद्यार्थियों को सम्मानित करना और उनकी समस्याओं का समाधान करना अधिकारियों की जिम्मेदारी होनी चाहिए। विद्यार्थियों को सुनना और उनकी बातें समझना अधिकारियों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। यह आवश्यक है कि विद्यार्थियों की बातें सुनी जाएं और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए बिना किसी दबाव या धमकी के।
शिक्षा संस्थानों में अधिकारियों को विद्यार्थियों के साथ संवेदनशीलता और समझदारी से व्यवहार करना चाहिए। छात्रों के मामले को समझा जाना चाहिए और उनकी शिकायतों का समाधान करना चाहिए। धमकी देने की बजाय, विद्यार्थियों को सुनना और उनकी बातें महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें उचित समाधान मिल सके और उन्हें विशेष ध्यान दिया जा सके।
छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक अधिकारियों को विद्यार्थियों के संबंध में संवेदनशीलता और कर्मठता दिखानी चाहिए। धमकी देना या दुर्व्यवहार करना समस्याओं का समाधान नहीं है। इसके बजाय, उन्हें विद्यार्थियों के साथ सहयोग करना चाहिए ताकि एक सकारात्मक और सुरक्षित शिक्षा वातावरण बना सके।