बर्खास्त बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों की बहाली की मांग, अनशन जारी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों की बर्खास्तगी को लेकर शिक्षकों और उनके परिवारों में गहरा असंतोष है। चार मई 2023 को लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा विज्ञापित 2,897 पदों पर हुई|



सीधी भर्ती को वर्तमान राज्य सरकार ने नियमों के उल्लंघन का हवाला देकर रद्द कर दिया। इस फैसले के बाद 3,000 शिक्षक परिवार सड़क पर आ गए हैं और प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख से अधिक बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं।



नियुक्ति प्रक्रिया और बर्खास्तगी का विवाद

भर्ती छत्तीसगढ़ राज्य भर्ती नियम 2019 और तत्कालीन राज्यपाल द्वारा अनुमोदित गजट के तहत की गई थी। चयन प्रक्रिया के तहत 71% पद एसटी और एससी समुदाय से भरे गए थे। हाईकोर्ट में दाखिल रिट क्रमांक 3541/2023 और अवमानना प्रकरण 970/2024 के आदेशों के परिणामस्वरूप 30 दिसंबर 2024 से इन शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई।
अनशन और बढ़ता संकट
चार जनवरी 2025 से बर्खास्त शिक्षक रायपुर के तूता धरनास्थल पर अनशन कर रहे हैं। ठंड के चलते अब तक 14 शिक्षकाएं अस्पताल में भर्ती हो चुकी हैं।
प्रेस क्लब रायपुर में आयोजित पत्रकारवार्ता में प्रदेश अध्यक्ष संकल्प वर्मा, छग बचाव आंदोलन के अध्यक्ष आलोक शुक्ला, छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते, और छग मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता कलादास डहरिया ने बर्खास्तगी के फैसले को अमानवीय और गलत करार दिया।
प्रभावित शिक्षा व्यवस्था
नेताओं ने बताया कि बर्खास्त शिक्षकों ने सुदूर आदिवासी अंचलों में शिक्षा के माध्यम से कई विद्यार्थियों को नवोदय विद्यालय में चयनित होने का मौका दिया है। इन शिक्षकों की बर्खास्तगी से ग्रामीण स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था ठप हो गई है।
समाधान के लिए सुझाव
कलादास डहरिया ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में शिक्षकों के 24,000 पद रिक्त हैं, जहां इन शिक्षकों को समायोजित किया जा सकता है।
सरकार से वार्ता के माध्यम से समाधान निकालने की अपील की गई है।
छेरछेरा पुन्नी जैसे सामाजिक पर्व पर शिक्षकों की बहाली की मांग की गई है।
सरकार से त्वरित कार्रवाई की अपील
प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से तत्काल निर्णय लेने और न्यायसंगत समाधान निकालने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह मामला न केवल 3,000 परिवारों का है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था और सामाजिक न्याय से भी जुड़ा है।
सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, लेकिन शिक्षकों और उनके समर्थकों ने आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया है।