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भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर की जयंती पर परिचर्चा का आयोजन हुआ जेपी प्रतिष्ठान रूआबांधा में

भिलाई। भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की 98 वां जयंती गुरुवार को जेपी प्रतिष्ठान रूआबांधा एचएससीएल कॉलोनी में मनाई गई। लोकनायक जयप्रकाश नारायण स्मारक प्रतिष्ठान, आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति और चंद्रशेखर फाउंडेशन छत्तीसगढ़ के संयुक्त तत्वाधान में हुए इस आयोजन में समस्त अतिथियों व उपस्थित जनों ने स्व. चंद्रशेखर के चित्र पर माल्यार्पण किया और अपनी श्रद्धांजलि दी।

इस दौरान ‘लोकतंत्र,संविधान एवं लोकसभा की गरिमा’विषय पर परिचर्चा रखी गई। अतिथियों के स्वागत के उपरांत विषय प्रवर्तन में जेपी प्रतिष्ठान के अध्यक्ष आरपी शर्मा ने मौजूदा परिस्थितियों से स्व. चंद्रशेखर के दौर की तुलना करते हुए कहा कि तब लोकतंत्र संविधान एवं लोकसभा की गरिमा की सिर्फ बात नहीं होती थी बल्कि उसे लोग अपने आचरण से भी जाहिर करते थे। स्व. चंद्रशेखर ने संसद के भीतर और बाहर हमेशा लोकतंत्र की मर्यादा को कायम रखा। जबकि इसके विपरीत आज तो संसद से लेकर बाहर तक लोकतंत्र समर्थकों की आवाज दबाई जा रही है। उन्होंने कहा कि स्व. चंद्रशेखर बहुत कम दिन के लिए प्रधानमंत्री रहे लेकिन सीमित समय में भी उन्होंने देश के कोने-कोने में लोगों को जागरूक किया, जबकि आजकल आडंबर दिखाया जा रहा है।

मुख्य वक्ता अधिवक्ता जमील अहमद ने कहा कि स्व. चंद्रशेखर शुरू से ही समाजवादी नीतियों के हिमायती रहे। 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के महासचिव बनने के बाद उन्होंने तेज सामाजिक बदलाव लाने वाली नीतियों पर जोर दिया था और उच्च वर्गों के बढ़ते एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाई थी। आज हम देख रहे हैं कि उन नीतियों के ठीक विपरीत देश की 80 फीसदी पूंजी पर 15 प्रतिशत लोगों का एकाधिकार हो गया है। अधिवक्ता जमील अहमद ने कहा कि आज संविधान के संरक्षण के साथ लोकतंत्र और संसद की गरिमा को बचाने आगे आना होगा। तब ही हम स्व. चंद्रशेखर की देश के प्रति अवधारणा को ठीक से लागू कर पाएंगे।

विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ श्रमिक नेता प्रमोद कुमार मिश्र ने कहा कि वर्तमान समय का संकेत यही है कि अमीरी-गरीबी के बीच खाई बढ़ती जा रही है। ऐसे में लोकतंत्र और संविधान की मूल भावना का ह्रास हो रहा है। उन्होंने कहा कि स्व. चंद्रशेखर के व्यक्तित्व में प्रधानमंत्री बनने से कहीं ज्यादा महत्व उनकी 1983 की उस लंबी राजनीतिक यात्रा का है, जिसमें लोकतंत्र और संविधान के संरक्षण के लिए तमाम बाधाओं के बावजूद वे समाजवादी विचारधारा से पल भर को भी अलग नहीं हुए।

श्री मिश्रा ने कहा कि स्व. चंद्रशेखर ने तब लगभग 4,260 किलोमीटर की समूचे भारत मैराथन पदयात्रा की थी। जो किसी भी भारतीय नेता द्वारा की गई यह अब तक की सबसे बड़ी पदयात्रा है। अंत में कार्यक्रम के संयोजक आर पी शर्मा ने तेजी से बढ़ते निजीकरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भिलाई स्टील प्लांट के लिए अधिग्रहित की गई जमीनों में बची हुई जमीन अब उद्योगपतियों और बिल्डरों को देने की तैयारी है। इसे सीधे भूमिपुत्रों को लौटाया जाना चाहिए।

इस अवसर पर सुभाष चौधरी, अरविंद कुमार, एसपी सिंह, मिश्री राम राजभर, एजे कुरैशी, एम प्रसाद श्रीवास्तव, त्रिलोक मिश्रा, सुरेखा नागवंशी, जय सूबेदार सिंह यादव,धनंजय यादव और समाजवादी जनता पार्टी (चंद्रशेखर) छत्तीसगढ़ के महासचिव नंद किशोर साहू सहित अन्य लोग मौजूद थे।

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