मानसिक प्रताड़ना से टूटकर आयुष्मान आरोग्य मंदिर की महिला CHO ने की आत्महत्या, मासूम से छिना मां का साया”

खैरागढ़-छुईखदान-गंडई। जिले के आयुष्मान आरोग्य मंदिर, जंगलपुर में पदस्थ सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) आरती यादव ने अफसरों की मानसिक प्रताड़ना और लगातार उपेक्षा से टूटकर आत्महत्या कर ली। यह घटना न केवल एक परिवार को उजाड़ गई, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की संवेदनहीनता पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर गई है।






आरती यादव एक वर्ष की मासूम बच्ची की मां थी। महज एक महीने पहले उसने अपने पति को सड़क दुर्घटना में खोया, जिसके बाद उसने छुट्टी की मांग की, पर अफसरशाही ने उसे नज़रअंदाज़ कर दिया। दुर्ग से दूर जंगलपुर में अकेली रहकर वह स्वास्थ्य सेवाएँ देती रही। न सहकर्मी, न सहयोग—सिर्फ जिम्मेदारियों का पहाड़ उसके कंधों पर था।




पति की मृत्यु के बाद केंद्र बंद रहने पर भी उसके खिलाफ शिकायतें दर्ज की गईं, जिससे वरिष्ठ अधिकारियों की फटकार और मानसिक प्रताड़ना का सिलसिला शुरू हुआ। आर्थिक संकट ने उसकी पीड़ा और बढ़ा दी। एक महीने का वेतन, तीन महीने का कार्य आधारित भुगतान और केंद्र के लिए फंड रोक दिया गया।
स्थानांतरण के अनुरोधों को लगातार अनदेखा किया गया। हाल ही में जारी कार्यदायित्व (TOR) ने उस पर चार लोगों का काम अकेले करने का दबाव डाल दिया। दो-तीन दिन पहले वेतन कटौती की धमकी ने उसकी रही-सही उम्मीदें भी छीन लीं। आखिरकार, इस मानसिक और आर्थिक शोषण से टूटकर आरती यादव ने आत्मघाती कदम उठा लिया।
इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर संविदा कर्मचारियों के शोषण, मानवीय संवेदनाओं की अनदेखी और प्रशासनिक क्रूरता को उजागर कर दिया है। अब आरती की मासूम बच्ची के सिर से माता-पिता दोनों का साया उठ चुका है।